लेनिन और भगत सिंह !
कल त्रिपुरा में चुनाव जीतने के 48 घंटो के भीतर संघ और भाजपा के गुंडों ने लेनिन की मूर्ति को तोड़ दिया ।कई मंत्रियों, संघठन के पदाधिकारियों और भक्तों ने इस पर खुशी जाहिर की और लेनिन के खिलाफ ज़हर उगला ।
क्या वो लोग जानते है कि शहीद ए आज़म भगत सिंह लेनिन और मार्क्स के बहुत बड़े मुरीद थे? भगत सिंह अपने कॉलेज के दिनों में और जेल प्रवास के दौरान मार्क्स, लेनिन, ट्रोत्स्की आदि को पढ़ा करते थे,भगत सिंह ने अपने पत्र "मैं नास्तिक क्यों हूं" में इस बात का खुलकर जिक्र किया है कि वह वामपंथी विचारधारा से प्रभावित थे और क्रांति के गुर उन्होंने रूसी क्रांति के नायक लेनिन से ही सीखे है ।
21 जनवरी 1931 को "लेनिन दिवस" पर भगत सिंह ने भरी अदालत में यह तार पढ़ा ।
अनुवाद (मेरा किया हुआ) इस प्रकार है "आज लेनिन दिवस के दिन हम उन सबको तहे दिल से मुबारकबाद देते है, जो लेनिन के विचार को आगे बढ़ाने के लिए कुछ कर रहे है । और हम उस महान प्रयोग की कामयाबी की दुआ करते है जो रूस में हो रहा है।
हम भी साथ देंगे मजदूरों द्वारा चलाये जा रहे इस अंतरराष्ट्रीय आंदोलन का। आम आदमी की जीत होगी। पूंजीवाद हारेगा। साम्राज्यवाद हारेगा " (अनुवाद समाप्त)
ये थे भगत सिंह के ख्याल लेनिन के बारे में, आजकल की व्हाट्सअप यूनिवर्सिटी की मिट्टी से पैदा हुए भगवा खरपतवार को इसमें भी JNU की बू आएगी, किन्तु ये भगत सिंह के विचार थे, JNU वाले तो सिर्फ भगत सिंह का अनुसरण कर रहे है ।
भगत सिंह की आखिरी इच्छा :- जब भगत सिंह जेल में थे और उनसे उनकी आखिरी इच्छा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वो आजकल लेनिन की जीवनी पढ़ रहे है और अपनी मौत से पहले इसको खत्म करना चाहते है ।
भगत सिंह ने अपनी मौत से पहले सुखदेव को लिखा था कि "हो सकता है कि तुम और मैं जिंदा न रहें मगर इस देश के लोग रहेंगे। मार्क्सवादी और साम्यवादी विचारधारा जरूर जीतेगी" .
End .
कल त्रिपुरा में चुनाव जीतने के 48 घंटो के भीतर संघ और भाजपा के गुंडों ने लेनिन की मूर्ति को तोड़ दिया ।कई मंत्रियों, संघठन के पदाधिकारियों और भक्तों ने इस पर खुशी जाहिर की और लेनिन के खिलाफ ज़हर उगला ।
क्या वो लोग जानते है कि शहीद ए आज़म भगत सिंह लेनिन और मार्क्स के बहुत बड़े मुरीद थे? भगत सिंह अपने कॉलेज के दिनों में और जेल प्रवास के दौरान मार्क्स, लेनिन, ट्रोत्स्की आदि को पढ़ा करते थे,भगत सिंह ने अपने पत्र "मैं नास्तिक क्यों हूं" में इस बात का खुलकर जिक्र किया है कि वह वामपंथी विचारधारा से प्रभावित थे और क्रांति के गुर उन्होंने रूसी क्रांति के नायक लेनिन से ही सीखे है ।
21 जनवरी 1931 को "लेनिन दिवस" पर भगत सिंह ने भरी अदालत में यह तार पढ़ा ।
अनुवाद (मेरा किया हुआ) इस प्रकार है "आज लेनिन दिवस के दिन हम उन सबको तहे दिल से मुबारकबाद देते है, जो लेनिन के विचार को आगे बढ़ाने के लिए कुछ कर रहे है । और हम उस महान प्रयोग की कामयाबी की दुआ करते है जो रूस में हो रहा है।
हम भी साथ देंगे मजदूरों द्वारा चलाये जा रहे इस अंतरराष्ट्रीय आंदोलन का। आम आदमी की जीत होगी। पूंजीवाद हारेगा। साम्राज्यवाद हारेगा " (अनुवाद समाप्त)
ये थे भगत सिंह के ख्याल लेनिन के बारे में, आजकल की व्हाट्सअप यूनिवर्सिटी की मिट्टी से पैदा हुए भगवा खरपतवार को इसमें भी JNU की बू आएगी, किन्तु ये भगत सिंह के विचार थे, JNU वाले तो सिर्फ भगत सिंह का अनुसरण कर रहे है ।
भगत सिंह की आखिरी इच्छा :- जब भगत सिंह जेल में थे और उनसे उनकी आखिरी इच्छा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वो आजकल लेनिन की जीवनी पढ़ रहे है और अपनी मौत से पहले इसको खत्म करना चाहते है ।
भगत सिंह ने अपनी मौत से पहले सुखदेव को लिखा था कि "हो सकता है कि तुम और मैं जिंदा न रहें मगर इस देश के लोग रहेंगे। मार्क्सवादी और साम्यवादी विचारधारा जरूर जीतेगी" .
End .
Haqiqat (Reality) please post something on Islam also
ReplyDeleteWhat kind of information
Delete