दंगल, अभी हाल ही में रिलीज़ हुई, इस फिल्म में मुख्य किरदार ग़द्दार आमिर खान ने निभाया है, सोशल मीडिया पे कुछ राष्ट्रभक्तों द्वारा इस फिल्म के खिलाफ फतवा जारी किया गया और इसको राष्ट्रविरोधी दंगल घोषित कर दिया गया! वैसे इस देश में दंगल कोई नई बात नहीं हैं, पहलवानी करना, अखाडे में दंगल करना हमारे देश की पुरानी परंपरा है, इसी दंगल ने हमें गामा पहलवान और दारा सिंह जैसे शूरवीर दिए है! किन्तु यहाँ दंगल की नहीं बल्कि "राष्ट्रविरोधी" दंगल की बात हो रही है, एक बहुत बड़ा 'राष्ट्रविरोधी' दंगल 8 नवम्बर 2016 को आज़ाद भारत के पहले 'बेशर्म' प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ( 2014 से पहले वाले PM शर्मिंदा थे) ने 'लांच' किया था ! 8 नवम्बर से शुरू हुआ यह दंगल अभी तक 150 ज़िन्दगी की बलि ले चुका है, सैंकड़ो धंधे तबाह कर चुका है, कई लोगों की नौकरियां छीन चूका है ! इस राष्ट्रविरोधी दंगल की घोषणा करते वक़्त " दंगा विशेषज्ञ" श्री श्री 2002 मोदी जी ने कहा था कि हम काला धन मिटने के लिए दंगल कर रहे है, फिर गिरगिट के रंग की तरह मुद्दा काले धन से बदलकर कैशलेस अर्थव्यवस्था पे आ गया! राष्ट्रविरोधी दंगल अब तो पाकिस्तान तक पहुंच चुका है, जो भी सवाल करेगा उसे तुरंत पाकिस्तानी और राष्ट्रविरोधी घोषित कर दिया जाएगा! देश को आज़ाद हुए लगभग 70 वर्ष हो गए मगर देश ने कभी ऐसा "राष्ट्रविरोधी दंगल" नहीं देखा जितना की 2014 के बाद से देखा है, ऐसे मैं अपनी मर्ज़ी से कह रहा हूँ बल्कि आंकड़े चीख चीख कर कह रहा है कि देश में 2014 से राष्ट्रविरोधी दंगल चल रहा है , अब तक देश की सीमा पर 150 जवान इस दंगल की भेंट चढ़ चुके है,अकेले 2016 में 64 सैनिक शहीद हुए जो पिछले 6 साल में सबसे ज्यादा है(और इनमें उन सैनिकों को नहीं गिना जो ATM के बाहर शहीद हुए) देश में 70,000 किसान इस दंगल में अपने प्राणों की आहुति दे चुके है, अकेले भाजपा शासित महाराष्ट्र में 5000 किसान "small inconvenience" के लिए शहीद हो चुके है !
इस राष्ट्रविरोधी दंगल ने भारत की अर्थव्यवस्था को भी ठिकाने लगा दिया है, भारत की साख़ विश्व स्तर पे इतनी गिर गयी है कि मूडीज ने भारत की रेटिंग बढ़ाने से इंकार कर दिया, इतना ही नहीं बल्कि इब्न बतूता बनकर दुनिया भर की सैर करने वाले तुग़लक़ ने जब विमुद्रीकरण किया तो दुनिया भर की अंतराष्ट्रीय पत्रिकाओं ने इसकी भरपूर आलोचना की!
इस राष्ट्रविरोधी दंगल ने भारत की अर्थव्यवस्था को भी ठिकाने लगा दिया है, भारत की साख़ विश्व स्तर पे इतनी गिर गयी है कि मूडीज ने भारत की रेटिंग बढ़ाने से इंकार कर दिया, इतना ही नहीं बल्कि इब्न बतूता बनकर दुनिया भर की सैर करने वाले तुग़लक़ ने जब विमुद्रीकरण किया तो दुनिया भर की अंतराष्ट्रीय पत्रिकाओं ने इसकी भरपूर आलोचना की!
मज़े की बात तो ये है कि इस राष्ट्रविरोधी दंगल में सबसे ज्यादा मैच तथाकथित राष्ट्रवादियों ने ही जीते है क्योंकि इनके सारे मैच फिक्स थे, जबसे दंगल शुरु हुआ है तब से अब तक एक राष्ट्रवादी अखाड़े के 30 पहलवान नए नोटों की डोपिंग करते हुए पकडे गये ! इस अखाड़े के सर्वेसर्वा जो कहते थे कि दंगल का मक़सद सिर्फ और सिर्फ भ्रष्ट लोगो को रुलाना है आज वो खुद देश विदेश में रोने की नौटंकी कर रहे है, अफ़सोस की बात ये है कि मीडिया भी इस नौटंकी में बराबर शामिल है, मीडिया को एक एक मैच की खबर है, मीडिया की पता है कि कौन सा पहलवान नए नोटों का डोप सेवन कर रहा है और कौन नहीं, सारा का सारा दंगल IPL के मैच की तरह फिक्स किन्तु मीडिया अभी भी खामोश है क्योंकि इन्ही फिक्स्ड मैचों का लाइव टेलीकास्ट दिखा कर उनकी TRP बढ़ेगी, कुछ विपक्ष अखाड़े के पहलवानों ने इस दंगल में हो रहे गड़बड़झाले के खिलाफ आवाज़ उठाने की कोशिश की तो अखाडा प्रमुख ने उन्हें पाकिस्तानी घोषित कर दिया , ये वही अखाडा प्रमुख है जो बिन बुलाए पाकिस्तान जाते है वहाँ केक चाटकर आते है, इसी पाकिस्तान की ISI को पठानकोठ हमले की जांच करवाने के लिए भारत आमंत्रित करते है, इनकी ही की नाक के नीचे अब तक सबसे ज्यादा सैनिक शहीद हुए है , सबसे ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की, सबसे ज्यादा उद्योग धंधे बर्बाद हुए, सबसे ज्यादा अराजकता का माहौल बना, किन्तु किसी को इसकी फ़िक्र नहीं, यह राष्ट्रविरोधी दंगल जो पिछले ढाई साल से देश को खोखला कर रहा है वो किसी को नहीं दिखा , इस राष्ट्रविरोधी दंगल का विरोध किसी को नहीं करना है, करना है तो सिर्फ फिल्म का विरोध करना है !! आप अखाड़े में बैठ के इस राष्ट्रविरोधी दंगल का मज़ा लीजिये जब तक देश का विनाश नहीं हो जाता, मैं चला ग़द्दार आमिर की फिल्म दंगल देखने !!